
जहां एक ओर सरकार “हर बूंद की कीमत” समझाने गांव-गांव चौपालें लगा रही है, वहीं दूसरी ओर अफसरों की थाली में काजू-बादाम परोसकर बजट को “ड्राई फ्रूट फंड” में बदल दिया गया!
मध्यप्रदेश के शहडोल ज़िले से सामने आई एक सरकारी चौपाल की कहानी ने सबको चौंका दिया है।
शहडोल ज़िले के भदवाही गांव में जल संरक्षण अभियान के नाम पर हुई चौपाल में, एक घंटे के कार्यक्रम में जो खर्च हुआ, वो किसी शादी समारोह से कम नहीं था।
मेन्यू में शामिल था
13 किलो ड्राई फ्रूट: 5 किलो काजू, 5 किलो बादाम, 3 किलो किशमिश
30 किलो नमकीन
6 किलो दूध, 2 किलो घी, 5 किलो शक्कर
20 बिस्किट पैकेट
कुल खर्च: ₹19,010
साथ ही अलग से एक घी का विशेष बिल ₹5,260 भी!
सरकारी फाइलों में दर्ज यह खर्च पेयजल जागरूकता कार्यक्रम के नाम पर किया गया, मगर सवाल ये है कि क्या जल बचाने की बात करने वाले अफसर खुद लुटा रहे हैं सरकारी पैसा?
जिला पंचायत की प्रभारी CEO मुद्रिका सिंह ने मामले को संज्ञान में लेकर जांच की बात कही है।
जब गांव सूखते तालाबों के भरोसे हैं, और किसान बारिश का आसमान तक रहे हैं,
तो क्या अफसरों के लिए काजू-बादाम की चौपालें जल संरक्षण का सही तरीका हैं?
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