
“देश को चौंका देने वाली एक बड़ी खबर सामने आई है! भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल इस्तीफा दे दिया है। देर शाम उन्होंने राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंपा। लेकिन क्या ये इस्तीफा सिर्फ ‘स्वास्थ्य कारणों’ की वजह से दिया गया है? या फिर इसके पीछे है कोई बड़ा सियासी खेल?
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद बहुत से सवाल उठ रहे हैं।
“आख़िर ऐसा क्या हुआ कि भारत के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को एक घंटे के अंदर ही इस्तीफा देना पड़ा?
क्या कोई अंदरूनी दबाव था?
क्या कोई सियासी सौदा?
या फिर वाकई उन्होंने बिगड़ती तबीयत की वजह से ये फैसला लिया?”
दूसरी ओर विपक्ष भी शॉक्ड है कि अचानक ऐसा क्या हुआ।
वहीं विपक्ष उनके इस्तीफे पर सवाल खड़े कर रहा है।
जबकि सत्ता पक्ष से अभी तक कोई सामने नहीं आया है।
“सच क्या है, कौन झूठ बोल रहा है? जानिए अब, इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सिर्फ Khabar 24 Express पर।”
पहले आपको बता दें कि कौन हैं जगदीप धनखड़?
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले में हुआ था।
पेशे से वकील रहे धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कई अहम मामलों की पैरवी की।
वो 1989 में जनता दल की ओर से पहली बार सांसद बने और चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।
2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया, जहाँ वो लगातार ममता बनर्जी सरकार से टकराव में रहे।
2022 में एनडीए की ओर से उन्हें भारत का उपराष्ट्रपति बनाया गया।
अब बात करते हैं उनके कार्यकाल के बारे में।
तो उनके कार्यकाल में विवाद भी खूब रहे।
जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल शुरू से ही विवादों से भरा रहा। विपक्ष के साथ उनकी तीखी नोंकझोंक लगातार सुर्खियों में रही।
राज्यसभा में जब विपक्ष की आवाज उठी, तो अक्सर धनखड़ ने सख्त रवैया अपनाया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने उन पर आरोप लगाए कि वो सरकार की भाषा बोलते हैं, और विपक्ष की आवाज दबाने का काम करते हैं।
कई बार तो सदन में विपक्षी सांसदों को निलंबित करने के फैसलों पर भी उनकी आलोचना हुई।
इस्तीफे का कारण: क्या सिर्फ स्वास्थ्य की वजह या कुछ और इस पर भी प्रकाश डाल लेते हैं।
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा कि वो स्वास्थ्य कारणों के चलते पद छोड़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने इसपर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने खुलासा करते हुए कहा कि
“कल दोपहर धनखड़ ने BAC मीटिंग की अध्यक्षता की। लेकिन शाम की बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू बिना सूचना के गायब रहे।”
“धनखड़ इस बात से बेहद आहत हुए कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से इसकी जानकारी तक नहीं दी गई।”
“इसके बाद उन्होंने BAC की बैठक स्थगित कर दी और चौंकाने वाले अंदाज में इस्तीफा सौंप दिया।”
कांग्रेस ने दावा किया कि:
“यह इस्तीफा महज़ स्वास्थ्य कारणों से नहीं दिया गया। इसके पीछे कहीं ज्यादा गंभीर और राजनीतिक कारण छिपे हैं। सरकार को अब जवाब देना चाहिए।”
बड़ा सवाल – क्या सरकार और धनखड़ के बीच मतभेद हो गया था?
क्या नड्डा और रिजिजू की मीटिंग से दूरी कोई संकेत था?
क्या धनखड़ को अचानक किनारे किया गया?
या उन्होंने खुद ही सरकार से दूरी बनाने का फैसला किया?
“तो क्या जगदीप धनखड़ का इस्तीफा किसी आने वाले बड़े राजनीतिक खेल की शुरुआत है?”
“क्या एनडीए के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा? या फिर विपक्ष ने सही समय पर बड़ा दांव खेला?”
आप क्या सोचते हैं? क्या ये सिर्फ स्वास्थ्य का मामला है, या फिर राजनीति का खेल?