
किसानों की सुविधा और सहूलियत के नाम पर करोड़ों रुपए की लागत से देवास मंडी प्रांगण क्रमांक-2 में बनाए जा रहे डोम अब सीधे व्यापारियों को लाभ पहुंचाने का जरिया बनते नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन डोमों का निर्माण ऐसी जगह कराया जा रहा है जो व्यापारियों की दुकानों के ठीक सामने है — यानी जहां फायदा सिर्फ उन्हीं को हो!
माना जा रहा है कि डोमों की इस लोकेशन को लेकर कुछ व्यापारियों ने तत्कालीन मंडी सचिव को चंदा देकर मनपसंद स्थान तय करवाया। किसानों की उम्मीदें, उनकी परेशानी और उनकी जरूरतें — सबको नजरअंदाज कर दिया गया, और डोम बन गए व्यापारियों के सुविधा केंद्र।
डोमों का निर्माण ऐसे किया जा रहा है कि वह मंडी प्रांगण के गोदामों के सामने, दुकानों की सीध में आ जाएं, जिससे व्यापारियों को छांव, स्टोरेज और सीधा लाभ मिल सके। किसानों को तो आज भी खुली धूप और बारिश के बीच अपनी उपज को संभालना पड़ता है।
मंडी परिसर में बनी पानी की टंकी को भी अब कुछ व्यापारियों द्वारा कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह सीधा सरकारी संपत्ति पर निजी कब्जे जैसा मामला है। सवाल यह उठता है कि क्या मंडी प्रशासन की मिलीभगत से यह सब हो रहा है?
सवाल उठ रहे
क्या किसानों की योजनाओं को व्यापारियों के हित में मोड़ा जा रहा है?
क्या डोम निर्माण में पारदर्शिता नहीं बरती गई?
मंडी सचिव और व्यापारियों के बीच चंदे की क्या सच्चाई है?
क्या सरकारी संपत्ति पर चल रहे अवैध कार्यालय की जांच होगी?
Khabar Fast MP इस पूरे मामले पर लगातार नजर बनाए हुए है और आने वाले समय में जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब भी मांगेगा।