
जब इंसानों के लिए एंबुलेंस है, तो बेज़ुबानों के लिए क्यों नहीं? जब हम सड़कों पर बेसहारा जानवरों को तड़पते देखते हैं, तो दिल कांप जाता है। इन्हीं सवालों को लेकर मेनका गांधी ने बड़ी आवाज उठाई है। तो क्या अब सुल्तानपुर बनेगा देश में बेज़ुबानों के लिए एक मिसाल।पूर्व सांसद और देश की जानी-मानी पशु प्रेमी मेनका गांधी ने सुल्तानपुर में एसपीसीए यानी पशु क्रूरता निवारण सोसाइटी के गठन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। इस संबंध में उन्होंने जिलाधिकारी कुमार हर्ष को एक विस्तृत पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने लिखा कि जिले में बेसहारा, बीमार और घायल जानवरों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। इनके इलाज, रेस्क्यू और देखभाल के लिए एक संस्थागत ढांचे की तत्काल जरूरत है। उन्होंने बताया कि एसपीसीए न केवल जानवरों की रक्षा करेगा, बल्कि आम जनता के लिए भी राहत देगा, विशेषकर तब, जब सड़कों पर मरे या घायल जानवरों की वजह से हादसे हो जाते हैं। मेनका गांधी ने सोसाइटी के लिए सात प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के नाम प्रस्तावित किए हैं। मेनका गांधी ने सोसायटी के लिये सुधांशु सिंह, प्रशांत द्विवेदी, संगीता शुक्ला, अविता अग्रवाल, हरीश उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार जीतेंद्र श्रीवास्तव और पत्रकार योगेश यादव के नाम बतौर सदस्य प्रस्तावित किये है। इसके साथ ही उन्होंने प्रशासन से यह भी आग्रह किया है कि सोसाइटी के संचालन के लिए निम्नलिखित मानव संसाधन उपलब्ध कराए जाए। सबसे महत्वपूर्ण मांग जानवरों के लिए एंबुलेंस सेवा शुरू करने की है।