
“क्या आपके पास आधार है? वोटर ID है? मनरेगा कार्ड भी है? तो जनाब ध्यान दीजिए… बिहार में अब ये सब दस्तावेज वोटर लिस्ट के सत्यापन में नहीं मान्य होंगे! BLO अब कुछ और ही दस्तावेज मांग रहे हैं। और इस नई व्यवस्था ने खड़ा कर दिया है एक बड़ा सियासी बवाल।”
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग चला रहा है “गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम”। मकसद – वोटर लिस्ट को दुरुस्त करना।
लेकिन इस बार नियम कुछ नए हैं और कड़े भी।
अब आधार कार्ड, वोटर ID, ड्राइविंग लाइसेंस और मनरेगा कार्ड – ये सभी दस्तावेज “अमान्य” कर दिए गए हैं।
BLO अब जिन 11 दस्तावेजों को मान्यता दे रहे हैं, उनमें शामिल हैं:
जन्म प्रमाणपत्र
10वीं की मार्कशीट
राशन कार्ड
माता-पिता की जन्म/पहचान संबंधित डॉक्यूमेंट
निवास प्रमाण पत्र
पंचायत से सत्यापित प्रमाणपत्र
…और अन्य चुनिंदा सरकारी दस्तावेज।
इस नए नियम पर विपक्ष ने सवाल दाग दिए हैं।
तेजस्वी यादव का बयान:
“यह तो लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। आम जनता के पास पहले से मौजूद ID को अमान्य करना संविधान के खिलाफ है।”
ओवैसी का तंज:
“क्या 2024 लोकसभा चुनाव में अवैध अप्रवासी वोट दे चुके थे? क्या ये NRC की आहट है?”
“चुनाव आयोग का कहना है कि यह सब ‘गैर-कानूनी वोटर्स’ की पहचान और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए किया जा रहा है… लेकिन सवाल उठता है – जिनके पास नये दस्तावेज नहीं हैं, क्या वो अब वोटर नहीं रहेंगे?”