
शिक्षक जैसे पवित्र पद पर फर्जीवाड़े का दाग? जालौन में सामने आया एक ऐसा मामला, जिसने बेसिक शिक्षा विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फर्जी दस्तावेज़ों के दम पर नौकरी और विभाग की चुप्पी? आखिर कौन है राजकिशोर रिछारिया, और किसकी शह पर सालों से वेतन ले रहा है वो शख्स? ये सवाल अब सीधे जिलाधिकारी से जवाब मांग रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद में शिक्षक भर्ती से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जालौन के कोंच नगर के मोहल्ला गोखले नगर निवासी अरविंद द्विवेदी ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में गंभीर आरोप लगाते हुए शिक्षक भर्ती में हुए फर्जीवाड़े को उजागर किया। उनके मुताबिक, हरदोई गूजर गांव निवासी राजकिशोर रिछारिया ने मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ों का सहारा लिया। आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इस फर्जी नियुक्ति को स्वीकृति दी गई और बीते कई वर्षों से आरोपी शिक्षक सरकारी वेतन का लाभ उठा रहा है। अरविंद द्विवेदी ने बताया कि उन्होंने इस मामले में शासन स्तर पर भी शिकायत की, लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। शिकायतकर्ता के अनुसार, संबंधित अधिकारी राजकिशोर को बचाने में जुटे हैं। बीते दिनों संपूर्ण समाधान दिवस में उन्होंने जिलाधिकारी को लिखित शिकायती पत्र सौंपा और मांग की कि दोषी शिक्षक के खिलाफ न सिर्फ विभागीय जांच हो, बल्कि मुकदमा दर्ज कर उसे सेवा से बर्खास्त किया जाए। शिकायतकर्ता का ये भी आरोप है कि मृतक आश्रित कोटे के नाम पर कई ऐसे मामले जिले में दबे हुए हैं, जिनकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।