
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर तनाव की स्थिति बनती दिख रही है। इस बार मुद्दा डेयरी प्रोडक्ट्स को लेकर है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह ऐसी गायों के दूध से बने उत्पाद नहीं खरीदेगा, जिनके आहार में मांस शामिल हो। अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह इस शर्त को हटाए, लेकिन भारत अपने स्टैंड पर अडिग है।
भारत और अमेरिका के बीच डेयरी उत्पादों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। ट्रंप प्रशासन और अब बाइडेन सरकार भी भारत पर दबाव बना रही है कि वह अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स को मंजूरी दे, लेकिन भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि वह ऐसी गायों के दूध से बने उत्पादों को अनुमति नहीं देगा जो मांसाहारी आहार लेती हैं।
भारत की आपत्ति का मुख्य आधार धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं, जहां गाय को पूजनीय माना जाता है और उसके शुद्ध शाकाहारी आहार को ही स्वीकार्य माना जाता है। अमेरिका की डेयरी इंडस्ट्री में कई बार गायों को मांस मिश्रित आहार दिया जाता है ताकि दूध उत्पादन बढ़ाया जा सके।
8 जुलाई 2025 तक दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर समझौते की डेडलाइन है। यदि इस मुद्दे पर समाधान नहीं निकला, तो भारत को अमेरिका से व्यापारिक रियायतों में घाटा उठाना पड़ सकता है, खासतौर पर जीएसपी (जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज) स्कीम के तहत मिलने वाले लाभों पर असर पड़ सकता है।भारत का कहना है कि यह सिर्फ व्यापारिक मसला नहीं, बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विषय है। वहीं अमेरिकी मीडिया और डेयरी लॉबी इसे संरक्षणवाद और WTO नियमों का उल्लंघन करार दे रही हैं।
अब देखना ये है कि अमेरिका की दबाव की राजनीति के बीच भारत अपने धार्मिक-सांस्कृतिक मानकों से समझौता करता है या फिर किसी मध्य मार्ग की तलाश करता है। इस विवाद का हल 8 जुलाई से पहले निकलता है या नहीं, इस पर दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों की दिशा निर्भर करेगी।