
यह सिर्फ जातीय उत्पीड़न नहीं, धर्म और संविधान दोनों के खिलाफ विद्रोह है। एक तरफ भारत ज्ञान और समता की धरती है, दूसरी ओर इटावा के एक गांव में ब्राह्मण न होने पर संत के साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी गईं।
इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के दादरपुर गांव से एक शर्मनाक खबर सामने आई है, जहां जाति के नाम पर सहायक भागवत कथा वाचक का अपमान किया गया। गांव में एक ब्राम्हण परिवार ने सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा रखी थी, इस दौरान कथा करने के लिये कथावाचक मुकुट मणी और सहायक कथा वाचक संत सिंह यादव कथा करने आये थें। लेकिन जब गांव के कुछ कथित ’धर्म के ठेकेदारों’ को पता चला कि कथा वाचक ब्राह्मण नहीं, यादव है, तो उन्होंने सहायक कथा वाचक संत सिंह को धर्म के नाम पर घिनौनी यातना दी। पहले संत का मुंडन कराया, फिर उन पर ब्राम्हण महिला के मूत्र के छींटे डालकर उनका कथित शुद्धिकरण भी किया। इसके बाद उनसे ब्राम्हण महिला के पैर भी पड़वाये। यह सब गांव के दर्जनों लोगों के सामने, वीडियो बनाकर किया गया। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया। पुलिस ने 2 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की, चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें मुख्य आरोपी निक्की भी शामिल है, जिसने बाल काटे थे। लेकिन ब्राह्मण न होने की वजह से गांव के कुछ लोगों ने सामूहिक साजिश रचकर उन्हें अपमानित किया। ये घटनाएं उस मानसिकता को उजागर करती हैं जो भारत के संविधान, धर्म की आत्मा और बाबा साहेब के संघर्ष को रौंद रही है।