
क्या अमेरिका का सबसे सुरक्षित चेहरा भी अब सुरक्षित नहीं?
पिछले साल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के मामले में अब बड़ा एक्शन सामने आया है। सीक्रेट सर्विस के 6 एजेंट्स को सस्पेंड कर दिया गया है।
13 जुलाई 2024 — पेनसिल्वेनिया के बटलर शहर में डोनाल्ड ट्रंप पर एक जनसभा के दौरान फायरिंग की गई थी।
हमलावर गोली चलाकर मौके से भाग निकला, और ट्रंप बाल-बाल बचे। इस हमले ने अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था की नींव तक हिला दी थी।
अब इस केस में यूएस सीक्रेट सर्विस ने बड़ी कार्रवाई की है —
6 एजेंट्स को ड्यूटी में लापरवाही और सुरक्षा चूक के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है।
जांच में सामने आया कि हमलावर की मौजूदगी को समय रहते नोटिस नहीं किया गया, और सुरक्षा घेरे में कई लेयर फेल हुईं।
सीक्रेट सर्विस वही एजेंसी है जो अमेरिका के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है।
इस मामले ने न सिर्फ सीक्रेट सर्विस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि अमेरिकी सुरक्षा प्रतिष्ठान की विश्वसनीयता को भी झकझोर दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप जैसे हाई-प्रोफाइल नेता पर हमला होना, और वो भी भारी सुरक्षा के बीच — ये महज़ एक घटना नहीं, पूरी व्यवस्था पर एक प्रश्नचिन्ह है।
अब सवाल ये है —
क्या दुनिया की सबसे ताकतवर एजेंसी अपने सबसे ज़िम्मेदार मिशन में चूक कर सकती है?
और अगर हां, तो क्या सिर्फ सस्पेंशन से खत्म हो जाएगा यह मामला?